MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा – MP Board Solutions

Ashok Nayak
0

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा – MP Board Solutions

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा – MP Board Solutions

Table of content (TOC)

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
खरीफ की फसल है (2009, 13)
(i) गेहूँ
(ii) चना
(iii) धान
(iv) जौ।
उत्तर:
(iii) धान

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अंग है
(i) जूते की दुकान
(ii) सोने-चाँदी की दुकान
(iii) राशन की दुकान
(iv) किराने की दुकान।।
उत्तर:
(iii) राशन की दुकान

प्रश्न 3.
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सम्बन्ध है
(i) महिलाओं से
(ii) पुरुषों से
(iii) निर्धनता की रेखा के नीचे रहने वालों से
(iv) उपरोक्त में से किसी से नहीं।
उत्तर:
(iii) निर्धनता की रेखा के नीचे रहने वालों से

प्रश्न 4.
अन्त्योदय अन्न योजना के अन्तर्गत कितना खाद्यान्न दिया जाता है? (2014)
(i) 5 किलोग्राम
(ii) 10 किलोग्राम
(iii) 15 किलोग्राम
(iv) 25 किलोग्राम।
उत्तर:
(iv) 25 किलोग्राम।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोटे अनाज के नाम लिखिए।
उत्तर:
मोटे अनाज में निम्नलिखित खाद्यान्न सम्मिलित किये जाते हैं- ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी तथा जौ आदि।

प्रश्न 2.
भारत को किन वर्षों में अकाल का सामना करना पड़ा था ?
उत्तर:
भारत को निम्नलिखित अकालों का सामना करना पड़ा था जिसमें लाखों लोग भूख से मारे गये थे-

  1. सन् 1835 का उड़ीसा अकाल
  2. सन् 1877 का पंजाब और मध्य प्रदेश का अकाल
  3. सन् 1943 का बंगाल का अकाल।

प्रश्न 3.
रोजगार आश्वासन योजना क्या है?
उत्तर:
रोजगार आश्वासन योजना के अन्तर्गत 18 से 60 वर्ष के अकुशल व्यक्तियों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा सके जिससे लोग आय प्राप्त करके नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न खरीद सके।

प्रश्न 4.
समर्थन मूल्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है। इसके अन्तर्गत सरकार कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है। जब खाद्यान्नों का बाजार भाव सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे चला जाता है, तो सरकार स्वयं घोषित समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न खरीदने लगती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
खाद्य सुरक्षा हेतु संचालित किन्हीं दो योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
खाद्यान्न सुरक्षा द्वारा संचालित प्रमुख दो योजनाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. अन्त्योदय अन्न योजना
  2. काम के बदले अनाज योजना।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्यान्न-सुरक्षा के मुख्य घटक कौन-कौन से हैं? लिखिए। (2009)
उत्तर:
सामान्यतः खाद्यान्न सुरक्षा के अन्तर्गत समस्त जनसंख्या को खाद्यान्नों की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध कराना माना जाता है। खाद्यान्न सुरक्षा के निम्नलिखित घटक हैं –

  1. देश की समस्त जनसंख्या को भोजन की उपलब्धता।
  2. उपलब्ध खाद्यान्न को खरीदने के लिए पर्याप्त धन।
  3. खाद्यान्न उस मूल्य पर उपलब्ध हो जिस पर सभी उसे खरीद सकें।
  4. खाद्यान्न हर समय उपलब्ध होना चाहिए।
  5. उपलब्ध खाद्यान्न की किस्म अच्छी होनी चाहिए।

एक विकासशील अर्थव्यवस्था में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। निरन्तर होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप इसकी निम्नलिखित अवस्थाएँ (घटक) भी हो सकती हैं। –

  1. पर्याप्त मात्रा में अनाज की उपलब्धता।
  2. पर्याप्त मात्रा में अनाज और दालों की उपलब्धता।
  3. अनाज और दालों के साथ दूध और दूध से बनी वस्तुओं की उपलब्धता।
  4. अनाज, दालें, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएँ, सब्जियाँ, फल आदि की उपलब्धता।

प्रश्न 2.
बफर-स्टॉक क्या है? समझाइए। (2008, 09, 11)
उत्तर:
यदि देश में खाद्यान्न का उत्पादन कम होता है तो ऐसी संकटकालीन स्थिति का सामना करने के लिए तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न वितरित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया खाद्यान्न भण्डार ‘बफर-स्टॉक’ कहलाता है। बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (E.C.I.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज गेहूँ और चावल का भण्डार है। भारतीय खाद्य निगम अधिक उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित मूल्य दे दिया जाता है। इस मूल्य को ‘न्यूनतम समर्थित मूल्य’ कहते हैं। क्रय किया हुआ खाद्यान्न खाद्य भण्डार में रखा जाता है। इसे संकटकाल में अनाज की समस्या से निपटने के लिए प्रयोग किया जाता है। गत वर्षों से देश में उपलब्ध ‘बफर-स्टॉक’ निर्धारित न्यूनतम मात्रा से अधिक रहा है। जनवरी 2012 में न्यूनतम निर्धारित सीमा 25 मिलियन टन थी। जबकि भारत का वास्तविक स्टॉक 55-3 था जो भारत की मजबूत खाद्य-सुरक्षा को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 3.
नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है? समझाइए।
अथवा
नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विशेषताएँ लिखिए। (2017)
उत्तर:
जनवरी 1992 से पूर्व में चल रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में संशोधन करके देश के दुर्गम, जनजातीय, पिछड़े, सूखाग्रस्त एवं पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामवासियों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की गयी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. सूखा प्रवृत्त क्षेत्रों, रेगिस्तानी क्षेत्रों, पर्वतीय क्षेत्रों तथा शहरी गन्दी बस्तियों में निवास करने वाले लोगों को प्राथमिकता प्रदान की गयी है।
  2. इस प्रणाली में अपेक्षाकृत कम कीमत और अधिक मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा जाता है।
  3. इस प्रणाली में छः प्रमुख आवश्यक वस्तओं (गेहूँ, चावल, चीनी, आयातित खाद्य तेल, मिट्टी का तेल एवं कोयला) के अतिरिक्त चाय, साबुन, दाल, आयोडीन नमक जैसी वस्तुओं को शामिल किया गया है।
  4. इस योजना में शामिल विकास खण्डों में रोजगार आश्वासन योजना प्रारम्भ की गई, इसके अतिरिक्त 18 से 60 वर्ष के अकुशल बेरोजगार व्यक्तियों को 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जाएगा। जिससे लोग आय प्राप्त करने नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अन्न खरीद सकें।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली 1 जून, 1997 से लागू की गयी। इस प्रणाली में गरीबी रेखा के नीचे (BPL) तथा गरीबी रेखा से ऊपर (APL) के लोगों के लिए गेहूँ तथा चावल के भिन्न-भिन्न निर्गम मूल्य निर्धारित किये गये हैं।
केन्द्रीय निर्गम मूल्य

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

लक्ष्य निर्धारित वितरण प्रणाली (TDPS) में निर्धन लोगों को विशेष राशन कार्ड जारी करके विशेष रूप से कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। यह विश्व की सबसे बड़ी खाद्य परियोजना है।

लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) को गरीबों के प्रति और अति संकेन्द्रित और लक्षित करने के लिए दिसम्बर 2000 में अन्त्योदय अन्न योजना प्रारम्भ की गई। इस योजना में प्रतिमाह प्रत्येक परिवार को गेहूँ 2 रुपये प्रति किग्रा. व चावल 3 रुपये प्रति किग्रा. के निम्न मूल्य पर 25 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रावधान है। अन्त्योदय परिवारों के लिए खाद्यान्नों का अनुमानित वार्षिक आबण्टन 30 लाख टन है, जिसमें 2.315 करोड़ रुपये की सब्सिडी शामिल है।

प्रश्न 5.
खाद्य-सुरक्षा में सहकारिता की क्या भूमिका है? समझाइए। (2008, 09)
अथवा
खाद्य सुरक्षा और सहकारिता का क्या सम्बन्ध है? (2010)
उत्तर:
सहकारिता ऐसे व्यक्तियों का ऐच्छिक संगठन है जो समानता, स्व सहायता तथा प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के आधार पर सामूहिक हित के कार्य करता है। भारत में खाद्य-सुरक्षा उपलब्ध कराने में सहकारिता की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह कार्य उपभोक्ता सहकारी समितियों द्वारा निर्धन लोगों के लिए खाद्यान्न बिक्री हेतु राशन की दुकान खोलकर किया जाता है। भारत में उपभोक्ता सहकारिता के राष्ट्रीय, राज्य, जिलों व ग्राम स्तर पर भिन्न-भिन्न व्यवस्थाएँ हैं। 30 राज्य सहकारी उपभोक्ता संगठन इस परिसंघ के साथ जुड़े हैं। केन्द्रीय या थोक स्तर पर 794 उपभोक्ता सहकारी स्टोर हैं। प्रारम्भिक स्तर पर 24,078 प्राथमिक स्टोर हैं।

ग्रामीण इलाकों में लगभग 44,418 ग्राम स्तरीय प्राथमिक कृषि की ऋण समितियाँ अपने सामान्य व्यापार के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं के वितरण में संलग्न है। उपभोक्ता सहकारी समितियों द्वारा शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में लगभग 37,226 खुदरा बिक्री केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। सरकार द्वारा 2000 में ‘सर्वप्रिय’ योजना का प्रारम्भ किया है। इस योजना में आम जनता को बुनियादी आवश्यकताओं की वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

प्रश्न 6.
खरीफ और रबी फसलों में क्या अन्तर है ? लिखिए। (2008, 09, 14)
उत्तर:
खरीफ और रबी की फसल में अन्तर

खरीफरबी
1. यह फसल मानसून ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू होती है।1. यह फसल मानसून ऋतु के बाद शरद ऋतु के साथ शुरू होती है।
2. इसकी प्रमुख फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।2. इसकी मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी जैसे तेल निकालने के बीज आदि हैं।
3. इन फसलों के पकने में कम समय लगता है।3. इन फसलों के पकने में अपेक्षाकृत अधिक समय
लगता है।
4. इन फसलों का प्रति हेक्टेअर उत्पादन कम होता है।4. इन फसलों का प्रति हेक्टेअर उत्पादन अधिक होता है।
5. ये फसलें सितम्बर-अक्टूबर में काटी जाती हैं।5. ये फसलें मार्च-अप्रैल में काटी जाती हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के मुख्य खाद्यान्न कौन से हैं ? विवरण दीजिए। (2008, 14, 18)
अथवा
भारत की प्रमुख खाद्य फसलों को लिखिए। (2015)
उत्तर:
भारत की खाद्यान्न फसलें भारत में खाद्यान्न पैदावार अलग-अलग समय पर अलग-अलग होती है। अतः समय के अनुसार इन खाद्यान्न फसलों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
I.खरीफ की फसलें :
ये फसलें जुलाई में बोई तथा अक्टूबर में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत मुख्य फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।

II. रबी की फसलें :
ये फसलें अक्टूबर में बोई जाती हैं तथा मार्च के अन्त या अप्रैल में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी आदि हैं। भारत के प्रमुख खाद्यान्नों (अनाज) का विवरण निम्न प्रकार है –
(1) चावल :
यह खरीफ की फसल है। यह भारतवासियों का प्रिय भोजन है। भारत में कुल खाद्य-फसलों को बोये गये क्षेत्रफल के 25 प्रतिशत भाग पर चावल बोया जाता है। चीन के बाद चावल के उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। संसार के कुल उत्पादन का 11.4 प्रतिशत चावल भारत में होता है।

भारत में चावल का उत्पादन आन्ध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व असम राज्यों में होता है। भारत में चावल के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि रासायनिक उर्वरकों और उन्नत बीजों के प्रयोग के कारण हो रही है। इस समय देश चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ इसका निर्यात भी कर रहा है।

(2) गेहूँ :
चावल के पश्चात् गेहूँ भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। गेहूँ रबी की फसल है। विश्व में भारत गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से चीन व संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर व क्षेत्रफल की दृष्टि से पाँचवें स्थान पर है। भारत में मुख्यतः दो प्रकार का गेहूँ उगाया जाता है।

  • वल्गेयर गेहूँ :
    यह चमकीला, मोटा और सफेद होता है। इसे साधारणतः रोटी का गेहूँ कहते हैं।
  • मैकरानी गेहूँ :
    यह लाल छोटे दाने वाला और कठोर होता है। देश में गेहूँ उत्पादक प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात हैं। भारत गेहूँ के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। यद्यपि चालू वर्ष में संचित स्टॉक में कमी के कारण भारत को गेहूँ का आयात करना पड़ा।

(3) ज्वार :
यह दक्षिण भारत में किसानों का मुख्य भोजन है। उत्तरी भारत में यह पशुओं को खिलायी जाती है। ज्वार से अरारोट बनाया जाता है जिसके अनेक आर्थिक उपयोग होते हैं। उत्तर भारत में यह खरीफ की फसल है, लेकिन दक्षिण में यह खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है। भारत के कुल ज्वार उत्पादन का लगभग 87 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश में होता है।

(4) बाजरा :
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात में इसका प्रयोग खाद्यान्न के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। यह उत्तर भारत में खरीफ की फसल है। दक्षिण भारत में यह रबी और खरीफ दोनों की फसल है। देश के कुल उत्पादन का 96 प्रतिशत भाग राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश व पंजाब में उत्पादित किया जाता है।

(5) मक्का :
मक्का मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों की उपज है। इसका उपयोग पशुओं के चारे और खाने के लिए किया जाता है। मानव भी मक्के के विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपयोग करता है। इससे स्टार्च और ग्लूकोज तैयार किया जाता है। यह हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में उत्पादित किया जाता है, लेकिन प्रमुख रूप से यह उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व कर्नाटक में उत्पादित किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
खाद्य-सुरक्षा क्या है एवं खाद्य-सुरक्षा क्यों आवश्यक है? समझाइए। (2009)
अथवा
खाद्य-सुरक्षा के आन्तरिक कारणों का वर्णन कीजिए। (2013)
अथवा
खाद्य-सुरक्षा क्यों आवश्यक है? खाद्य-सुरक्षा में सहकारिता की क्या भूमिका है ?(2008,09)
अथवा
खाद्य सुरक्षा क्यों आवश्यक है? समझाइए। (2017)
उत्तर:
खाद्य-सुरक्षा से आशय-खाद्यान्न-सुरक्षा का सम्बन्ध मानव की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं से है। सरल शब्दों में खाद्यान्न सुरक्षा का आशय है सभी लोगों को पौष्टिक भोजन की उपलब्धता। साथ ही यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति के पास भोजन-व्यवस्था करने के लिए क्रय-शक्ति (पैसा) हो तथा खाद्यान्न उचित मूल्य पर उपलब्ध रहे। विश्व विकास रिपोर्ट 1986 के अनुसार, “खाद्यान्न-सुरक्षा सभी व्यक्तियों के लिए सही समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है।” खाद्य एवं कृषि संस्थान के अनुसार, “खाद्यान्न-सुरक्षा सभी व्यक्तियों को सही समय पर उनके लिए आवश्यक बुनियादी भोजन के लिए भौतिक एवं आर्थिक दोनों रूप में उपलब्धि का आश्वासन है।”

खाद्य-सुरक्षा की आवश्यकता :
भारत की वर्तमान स्थिति में खाद्यान्न-सुरक्षा का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। एक ओर तो हमारी जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है, और दूसरी ओर अर्थव्यवस्था विकासशील है। अत: खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँगों की पूर्ति के लिए खाद्यान्न-सुरक्षा आवश्यक हो गई है। इसके कारणों को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं –

I. आन्तरिक कारण-इसमें वे सभी कारण आते हैं जो देश के भीतर की परिस्थितियों से सम्बन्धित हैं।

  • जीवन का आधार :
    भारत एक विशाल जनसंख्या वाला राष्ट्र है, साथ ही जन्म-दर भी ऊँची है। यहाँ प्रति वर्ष लगभग डेढ़ करोड़ व्यक्ति बढ़ जाते हैं; जबकि खाद्यान्नों के उत्पादन में उच्चावचन होते रहते हैं। इस कारण खाद्यान्न-सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है।
  • कम उत्पादकता :
    भारत में खाद्यान्न उत्पादकता प्रति हैक्टेअर तथा प्रति श्रमिक दोनों ही दृष्टि से कम है। इस दृष्टि से भी खाद्यान्न-सुरक्षा आवश्यक है।
  • प्राकृतिक संकट :
    समय-समय पर प्राकृतिक संकट; जैसे-सूखा, बाढ़, अत्यधिक वर्षा एवं फसलों के शत्रु कीड़े-मकोड़े आदि भी फसलों को हानि पहुँचाकर खाद्य संकट में वृद्धि करते हैं। राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक शोध परिषद् के अनुमानों के अनुसार इन कीड़े-मकोड़ों, चूहों एवं अन्य पशु-पक्षियों द्वारा कुल खाद्यान्नों के उत्पादन का 15 प्रतिशत भाग नष्ट कर दिया जाता है। प्राकृतिक संकटों का सामना करने के लिए खाद्यान्न-सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है।
  • बढ़ती महँगाई :
    खाद्यान्न की कीमतों में वृद्धि हो रही है, जिसके फलस्वरूप भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या का सामना करने के लिए खाद्य-सुरक्षा आवश्यक हो जाती है।
  • राष्ट्र की प्रगति में आवश्यक :
    खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त किये बिना कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। इस हेतु खाद्यान्न-सुरक्षा आवश्यक होती है।

II. बाह्य कारण :
बाह्य कारणों के अन्तर्गत वे कारण शामिल किये जाते हैं जो दूसरे राष्ट्र के सम्बन्धों से जुड़े होते हैं। प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं –

  • विदेशों पर निर्भरता :
    देश में जब खाद्यान्नों की पर्याप्त पूर्ति नहीं हो पाती है, तब इस प्रकार की स्थिति में हमें विदेशों पर निर्भर होना पड़ता है। फिर खाद्यान्न महँगे हों या सस्ते या उनकी गुणवत्ता अच्छी हो या न हो हमें खाद्यान्न आयात करना पड़ता है व विदेशों पर निर्भरता बढ़ जाती है।
  • विदेशी मुद्रा कोष में कमी :
    जब हम विदेशों से खाद्यान्न वस्तुएँ मँगाते हैं तो अनावश्यक रूप से हमारी विदेशी मुद्रा खर्च हो जाती है। खाद्यान्न की पूर्ति हम स्वयं ही कर सकते हैं परन्तु खाद्य-सुरक्षा के अभाव में नहीं कर पाते। परिणाम यह होता है कि बहुत अनिवार्य वस्तुएँ खरीदने हेतु हमारे पास विदेशी मुद्रा नहीं बच पाती है।
  • विदेशी दबाव :
    जो राष्ट्र खाद्यान्नों की पूर्ति करते हैं वे प्रभावशाली हो जाते हैं और फिर अपनी नीतियों को दबाव द्वारा मनवाने का प्रयास करते हैं। ऐसे राष्ट्र खाद्यान्न का आयात करने वाले राष्ट्रों पर हावी हो जाते हैं, और आयातक देश विदेश नीति निर्धारण करने में स्वतन्त्र नहीं रह पाते। कई बार खाद्यान्न संकटों के दौरान भारत ने यह अनुभव किया कि राष्ट्र के नागरिकों को भुखमरी से बचाने, विकास करने, स्वाभिमान, सम्मान और सम्प्रभुता की रक्षा के लिए खाद्य-सुरक्षा अनिवार्य है।

प्रश्न 3.
सरकार गरीबों को किस प्रकार खाद्य-सुरक्षा प्रदान करती है? समझाइए। (2009, 12, 13, 15, 18)
उत्तर:
सरकार गरीबों को निम्न प्रकार खाद्य-सुरक्षा प्रदान करती है –
(1) सार्वजनिक वितरण प्रणाली :
सार्वजनिक वितरण प्रणाली सार्वजनिक रूप से उपभोक्ताओं को निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में उपभोक्ता वस्तुएँ वितरित करने से सम्बन्धित है। मुख्य रूप से यह व्यवस्था कमजोर वर्ग के सदस्यों के लिए उपयोग में लायी गयी है। उपभोक्ताओं को आवश्यक उपभोग वस्तुएँ उचित कीमत पर उपलब्ध कराना एवं वितरण व्यवस्था को सुचारु रूप प्रदान करना इस प्रणाली का मुख्य लक्ष्य है।

(2) नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली :
जनवरी 1992 से पूर्व में चल रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में संशोधन करके देश के दुर्गम, जनजातीय, पिछड़े, सूखाग्रस्त एवं पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामवासियों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की गयी।

(3) लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली :
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली 1 जून, 1997 से लागू की गयी। इस प्रणाली में गरीबी रेखा के नीचे (BPL) तथा गरीबी रेखा से ऊपर (APL) के लोगों के लिए गेहूँ तथा चावल के भिन्न-भिन्न निर्गम मूल्य निर्धारित किये गये हैं।

इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा समन्वित राज्य विकास कार्यक्रम, पाठशाला में अध्ययनरत छात्रों के लिए मध्यान्ह भोजन योजना, खाद्यान्न अन्त्योदय अन्न योजना तथा काम के बदले अनाज आदि योजनाओं के माध्यम से खाद्य-सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

प्रश्न 4.
खाद्यान्न वृद्धि के लिए सरकार ने कौन-कौन से प्रयास किये हैं? (2008, 09, 12, 16)
अथवा
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है? (2008)
[संकेत : ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ शीर्षक देखें।]
उत्तर:
खाद्य-सुरक्षा के लिए सरकारी प्रयास
भारत में प्राकृतिक संकट या किसी अन्य कारण से उत्पन्न होने वाले खाद्यान्न संकट के समय एवं सामान्य परिस्थितियों में निर्धनों तथा अन्य लोगों को खाद्यान्न उचित कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए खाद्य-सुरक्षा प्रणाली का विकास किया गया है। इस व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण अंग निम्न प्रकार हैं –

(1) खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाना :
खाद्यान्न सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि देश में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन हो। इस कार्य में हरित क्रान्ति का योगदान महत्त्वपूर्ण है। इसके अन्तर्गत कृषि का यन्त्रीकरण, अच्छे बीजों का प्रयोग, उर्वरकों का प्रयोग, कीटनाशकों के प्रयोग तथा सिंचाई सुविधाओं का प्रयास किया गया। साथ ही चकबन्दी और मध्यस्थों के उन्मूलन कार्यक्रम के परिणामस्वरूप आज भारत खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बन गया है। भारत में खाद्यान्नों के उत्पादन की प्रगति को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है –

भारत में खाद्यान्नों का उत्पादन (करोड़ टन में)1

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

स्त्रोत-आर्थिक समीक्षा 2017-18 Vol-2, P.A-35 *अनुमानित

(2) न्यूनतम समर्थन मूल्य :
कृषि उत्पादों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। फसल के समय उत्पादन के कारण आपूर्ति अधिक हो जाती है, जिससे मूल्यों में काफी कमी आ जाती है। इस समय निर्धारित सीमा से कम मूल्य होने पर उत्पादकों को अपने उत्पादों की लागत प्राप्त करना कठिन हो जाता है। इसलिए सरकार कृषि उपजों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, जिसके अन्तर्गत जब खाद्यान्नों का बाजार भाव सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे चला जाता है, तो सरकार स्वयं घोषित समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न खरीदने लगती है। इससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने के साथ सार्वजनिक खाद्य भण्डारण बनाने का दोहरा उद्देश्य पूरा होता है। गत् वर्षों में सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्यों को निम्न तालिका में दर्शाया गया है।

गेहूँ और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (रुपये प्रति क्वि.)

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

स्रोत-आर्थिक समीक्षा 2017-18; A82, Vol-2.

(3) बफर स्टॉक :
कृषि मूल्यों में उच्चावचनों को रोकने के उद्देश्य से सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम की स्थापना की गई थी। यह निगम सरकार की ओर से खाद्यान्नों का स्टॉक करता है। इस प्रयोजन हेतु यह निगम खाद्यान्न की सरकारी खरीद करता है तथा उनका भण्डारण करता है इसी को बफर स्टॉक कहते हैं। यह स्टॉक राशन की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को वितरित कर दिया जाता है। इससे आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में मदद मिलती है। गत वर्षों में देश में उपलब्ध बफर-स्टॉक की स्थिति को निम्न तालिका में स्पष्ट किया गया है।

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

स्रोत-आर्थिक समीक्षा 2011-12; पृष्ठ 197.

बफर स्टॉक की तालिका से स्पष्ट होता है कि गत वर्षों में भारत में स्टॉक निर्धारित न्यूनतम मात्रा से अधिक ही रहा है। जो मजबूत खाद्य-सुरक्षा का प्रतीक है।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है व इसके मुख्य अंग कौन-कौन से हैं? (2008, 16)
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आशय-सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आशय उस प्रणाली से है, जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक रूप से उपभोक्ताओं विशेषकर कमजोर वर्ग के उपभोक्ताओं को निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में विभिन्न वस्तुओं (गेहूँ, चावल, चीनी, आयातित खाद्य तेल, कोयला, मिट्टी का तेल आदि) का विक्रय राशन की दुकान व सहकारी उपभोक्ता भण्डारों के माध्यम से कराया जाता है। इन विक्रेताओं के लिए लाभ की दर निश्चित रहती है तथा इन्हें निश्चित कीमत पर निश्चिम मात्रा में वस्तुएँ राशन कार्ड धारकों को बेचनी होती हैं। राशन कार्ड तीन-तीन प्रकार के होते हैं-बी. पी. एल. कार्ड, ए. पी. एल. कार्ड एवं अन्त्योदय कार्ड।

बी. पी. एल. कार्ड गरीबी रेखा के नीचे के लोगों के लिए ए. पी. एल. कार्ड गरीबी रेखा से ऊपर वाले लोगों के लिए तथा अन्त्योदय कार्ड गरीब में भी गरीब लोगों के लिए होता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंग :
भारत के सन्दर्भ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रमुख अंग निम्न हैं –

  • राशन या उचित मूल्य की दुकानें :
    सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्यान्नों तथा अन्य आवश्यकताओं की वस्तुओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। इन दुकानों पर से आवश्यकता की वस्तुओं; जैसे-गेहूँ, चावल, चीनी, मैदा, खाद्य तेल, मिट्टी का तेल एवं अन्य वस्तुएँ; जैसे-कॉफी, चाय, साबुन, दाल, माचिस आदि को वितरित किया जाता है।
  • सहकारी उपभोक्ता भण्डारण :
    सहकारी उपभोक्ता भण्डार भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंग हैं। इन भण्डारों के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ नियन्त्रित वस्तुओं की भी बिक्री की जाती है। कुछ बड़े-बड़े उद्योगों ने भी अपने श्रमिकों को उचित मूल्य पर वस्तु उपलब्ध कराने के लिए सहकारी उपभोक्ता भण्डार खोले हैं।
  • सुपर बाजार-कुछ बड़े :
    बड़े नगरों में सुपर बाजारों की स्थापना की गई है। यहाँ आवश्यकताओं की वस्तुओं को उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है।

प्रश्न 6.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन किस प्रकार किया जाता है? वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर :
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन केन्द्र तथा राज्य सरकारें मिलकर करती हैं। केन्द्र द्वारा राज्यों को खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं का आवंटन किया जाता है एवं इन वस्तुओं का विक्रय मूल्य भी निर्धारित किया जाता है। राज्य को केन्द्र द्वारा निर्धारित मूल्य में परिवहन व्यय आदि सम्मिलित करने का अधिकार है। इस प्रणाली के अन्तर्गत प्राप्त वस्तुओं का परिवहन, संग्रहण, वितरण व निरीक्षण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। राज्य सरकारें चाहें तो अन्य वस्तुएँ भी जिन्हें वे खरीद सकती हैं; सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सम्मिलित कर सकती हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम मुख्य रूप से भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा किया जाता है। 1965 में स्थापित भारतीय खाद्य निगम खाद्यान्नों व अन्य खाद्य सामग्री की खरीददारी, भण्डारण व संग्रहण, स्थानान्तरण, वितरण तथा बिक्री का कार्य करता है। निगम एक ओर तो यह निश्चित करता है कि किसानों को उनके उत्पादन की उचित कीमत मिले (जो सरकार द्वारा निर्धारित वसूली/ समर्थन कीमत से कम न हो) तथा दूसरी ओर यह निश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को भण्डार से एक-सी कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो। निगम को यह भी उत्तरदायित्व सौंपा गया है कि वह सरकार की ओर से खाद्यान्नों के बफर स्टॉक बना कर रखे।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चावल उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
(2009)
(i) प्रथम
(ii) द्वितीय
(iii) तृतीय
(iv) चतुर्थ।
उत्तर:
(ii) द्वितीय

प्रश्न 2.
विश्व के कुल चावल उत्पादन का लगभग कितना प्रतिशत चावल भारत में होता है?
(i) 21.5 प्रतिशत
(ii) 31.4 प्रतिशत
(iii) 11.4 प्रतिशत
(iv) 7.5 प्रतिशत।
उत्तर:
(iii) 11.4 प्रतिशत

प्रश्न 3.
गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
(i) पहला
(ii) दूसरा
(iii) तीसरा
(iv) चौथा।
उत्तर:
(iii) तीसरा

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का कौन-सा स्थान है?
(i) पहला
(ii) दूसरा
(iii) तीसरा
(iv) चौथा।
उत्तर:
(i) पहला

प्रश्न 5.
न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति सरकार द्वारा कब अपनायी गयी?
(i) 1960
(ii) 1963
(iii) 1962
(iv) 1965
उत्तर:
(iv) 1965

प्रश्न 6.
गरीबों में भी गरीब लोगों के लिये किस प्रकार के राशन कार्ड की व्यवस्था है?
(i) बी. पी. एल. कार्ड,
(ii) अन्त्योदय कार्ड
(iii) ए. पी. एल. कार्ड
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) अन्त्योदय कार्ड

प्रश्न 7.
भारतीय खाद्य निगम (E.C.I.) की स्थापना कब हुई थी?
(i) 1955
(ii) 1965
(iii) 1967
(iv) 1968
उत्तर:
(ii) 1965

प्रश्न 8.
खाद्यान्न अन्त्योदय अन्य योजना का शुभारम्भ कब किया गया था?
(i) 25 दिसम्बर, 2000
(ii) 25 दिसम्बर, 1995
(iii) 25 दिसम्बर, 2005
(iv) 25 दिसम्बर, 1993।
उत्तर:
(i) 25 दिसम्बर, 2000

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. समय के अनुसार खाद्यान्न फसलों को ………… तथा ………… भागों में बाँटा गया है। (2008)
  2. चावल के उत्पादन में भारत का विश्व में …………. स्थान है। (2009)
  3. ज्वार उत्तर भारत में ……….. की फसल है।
  4. खाद्यान्न उचित कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए ……….. का विकास किया गया है।
  5. गरीबों में भी गरीब लोगों के लिए ………… कार्ड।

उत्तर:

  1. रबी तथा खरीफ
  2. दूसरा
  3. खरीफ
  4. खाद्य सुरक्षा प्रणाली
  5. अन्त्योदय।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। (2008, 09)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
विश्व के कुल चावल उत्पादन का 10% से कम चावल भारत में होता है। (2008)
उत्तर:
असत्य

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
सरकार ने जुलाई 2003 में ‘सर्वप्रिय’ नाम की एक योजना प्रारम्भ की। (2011)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
खरीफ की फसल गेहूँ है।
उत्तर:
असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ख)
  5. → (ङ)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अंग है।
उत्तर:
उचित मूल्य की दुकान

प्रश्न 2.
खाद्यान्न वितरित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया भण्डार कहलाता हैं।
उत्तर:
बफर स्टॉक

प्रश्न 3.
अक्टूबर में बोकर मार्च-अप्रैल के अन्त में काटी जाने वाली फसल है। (2015)
उत्तर:
रबी

प्रश्न 4.
वह भुगतान जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है।
उत्तर:
अनुदान (सब्सिडी)

प्रश्न 5.
रोजगार आश्वासन योजना में कितने दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है?
उत्तर:
100 दिन।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव जीवन की प्रमुख आवश्यकताएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
मानव जीवन की तीन प्रमुख आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा और मकान हैं।

प्रश्न 2.
खाद्यान्न सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
विश्व विकास रिपोर्ट 1986 के अनुसार, “खाद्यान्न सुरक्षा सभी व्यक्तियों के लिये सही समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिये पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है।”

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
वर्तमान में खाद्यान्न सुरक्षा का महत्त्व अधिक क्यों है?
उत्तर:
वर्तमान में एक ओर तो हमारी अर्थव्यवस्था विकासशील है दूसरी ओर जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है। अतः खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँग की पूर्ति के लिये खाद्यान्न सुरक्षा बहुत आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत ने किस वर्ष भयंकर सुखे का सामना किया था व किस देश से गेहूँ आयात किया था?
उत्तर:
भारत ने सन् 1965-66 और 1966-67 में मानसून की विफलता के कारण भयंकर सूखे का सामना किया था तथा अमेरिका से गेहूँ आयात किया था।

प्रश्न 5.
खरीफ की फसलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
खरीफ की फसलें जुलाई में बोई तथा अक्टूबर में काटी जाती है। इसके अन्तर्गत चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि खाद्यान्न फसलें आती हैं।

प्रश्न 6.
रबी की फसल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रबी की फसल अक्टूबर में बोई जाती है तथा मार्च के अन्त में या अप्रैल में काट ली जाती है। इसके अन्तर्गत गेहूँ, जौ, चना आदि खाद्यान्न फसलें शामिल की जाती है।

प्रश्न 7.
भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्य कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ तथा असम हैं।

प्रश्न 8.
भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य निम्न हैं-उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तराखण्ड व गुजरात।

प्रश्न 9.
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कब प्रारम्भ की गयी?
उत्तर:
गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को खाद्यान्न की न्यूनतम मात्रा सुनिश्चित रूप से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1997 में यह प्रणाली प्रारम्भ की गई।

प्रश्न 10.
राशन कार्ड कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
राशन कार्ड तीन प्रकार के होते हैं-

  1. बी. पी. एल. कार्ड
  2. ए. पी. एल. कार्ड
  3. अन्त्योदय कार्ड।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोटे अनाज के अन्तर्गत किस अनाज को सम्मिलित किया जाता है? ये अनाज कहाँ-कहाँ पैदा होते हैं? (2011)
उत्तर:
पाठान्त अभ्यास के अन्तर्गत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 में ज्वार, बाजरा तथा मक्का शीर्षक देखें।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
सरकार द्वारा जुलाई 2000 में प्रारम्भ की गई ‘सर्वप्रिय’ योजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आम जनता को बुनियादी आवश्यकताओं की वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने 21 जुलाई, 2000 को यह योजना शुरू की। इसके अन्तर्गत राशन की दुकानों से खाद्यान्नों के अतिरिक्त 11 अन्य वस्तुएँ आम जनता को उपलब्ध करायी जा रही हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की खाद्यान्न फसलों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
भारत की खाद्यान्न फसलें भारत में खाद्यान्न पैदावार अलग-अलग समय पर अलग-अलग होती है। अतः समय के अनुसार इन खाद्यान्न फसलों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
I.खरीफ की फसलें :
ये फसलें जुलाई में बोई तथा अक्टूबर में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत मुख्य फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।

II. रबी की फसलें :
ये फसलें अक्टूबर में बोई जाती हैं तथा मार्च के अन्त या अप्रैल में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी आदि हैं। भारत के प्रमुख खाद्यान्नों (अनाज) का विवरण निम्न प्रकार है –
(1) चावल :
यह खरीफ की फसल है। यह भारतवासियों का प्रिय भोजन है। भारत में कुल खाद्य-फसलों को बोये गये क्षेत्रफल के 25 प्रतिशत भाग पर चावल बोया जाता है। चीन के बाद चावल के उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। संसार के कुल उत्पादन का 11.4 प्रतिशत चावल भारत में होता है।

भारत में चावल का उत्पादन आन्ध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व असम राज्यों में होता है। भारत में चावल के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि रासायनिक उर्वरकों और उन्नत बीजों के प्रयोग के कारण हो रही है। इस समय देश चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ इसका निर्यात भी कर रहा है।

(2) गेहूँ :
चावल के पश्चात् गेहूँ भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। गेहूँ रबी की फसल है। विश्व में भारत गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से चीन व संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर व क्षेत्रफल की दृष्टि से पाँचवें स्थान पर है। भारत में मुख्यतः दो प्रकार का गेहूँ उगाया जाता है।

  • वल्गेयर गेहूँ :
    यह चमकीला, मोटा और सफेद होता है। इसे साधारणतः रोटी का गेहूँ कहते हैं।
  • मैकरानी गेहूँ :
    यह लाल छोटे दाने वाला और कठोर होता है। देश में गेहूँ उत्पादक प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात हैं। भारत गेहूँ के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। यद्यपि चालू वर्ष में संचित स्टॉक में कमी के कारण भारत को गेहूँ का आयात करना पड़ा।

(3) ज्वार :
यह दक्षिण भारत में किसानों का मुख्य भोजन है। उत्तरी भारत में यह पशुओं को खिलायी जाती है। ज्वार से अरारोट बनाया जाता है जिसके अनेक आर्थिक उपयोग होते हैं। उत्तर भारत में यह खरीफ की फसल है, लेकिन दक्षिण में यह खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है। भारत के कुल ज्वार उत्पादन का लगभग 87 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश में होता है।

(4) बाजरा :
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात में इसका प्रयोग खाद्यान्न के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। यह उत्तर भारत में खरीफ की फसल है। दक्षिण भारत में यह रबी और खरीफ दोनों की फसल है। देश के कुल उत्पादन का 96 प्रतिशत भाग राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश व पंजाब में उत्पादित किया जाता है।

(5) मक्का :
मक्का मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों की उपज है। इसका उपयोग पशुओं के चारे और खाने के लिए किया जाता है। मानव भी मक्के के विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपयोग करता है। इससे स्टार्च और ग्लूकोज तैयार किया जाता है। यह हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में उत्पादित किया जाता है, लेकिन प्रमुख रूप से यह उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व कर्नाटक में उत्पादित किया जाता है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)
Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Adblocker detected! Please consider reading this notice.

We've detected that you are using AdBlock Plus or some other adblocking software which is preventing the page from fully loading.

We don't have any banner, Flash, animation, obnoxious sound, or popup ad. We do not implement these annoying types of ads!

We need money to operate the site, and almost all of it comes from our online advertising.

×