यदि किसी न्यूट्रॉन की प्रोटोन की उपस्थिति में निकटतम पहुँच की दुरी 4 x 10-14 मीटरहो तथा इसका कोणीय संवेग 10.11 x 10-34 जूल-सेकण्ड हो तो न्यटॉन की ऊर्जा ज्ञात करो।

Ashok Nayak
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यदि किसी न्यूट्रॉन की प्रोटोन की उपस्थिति में निकटतम पहुँच की दुरी 4 x 10-14 मीटर हो तथा इसका कोणीय संवेग 10.11 x 10-34 जूल-सेकण्ड हो तो न्यटॉन की ऊर्जा ज्ञात करो।

उदाहरण 23 : यदि किसी न्यूट्रॉन की प्रोटोन की उपस्थिति में निकटतम पहुँच की दुरी 4 x 10-14 मीटर हो तथा इसका कोणीय संवेग 10.11 x 10-34 जूल-सेकण्ड हो तो न्यटॉन की ऊर्जा ज्ञात करो।

[न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 1.6 x 10-27 किग्रा.]

हलः- प्रश्नानुसार, S = 4 x 10-12 मीटर, J= 10.11 x 10-34 जूल-से।

E = ?

J = mvs

लेकिन   E = ½  mv2

mv = 2mE

J = S 2mE

E = J2/ 2ms2

(10.11 x 10-34)2 / 2 x 1.67 x 10-27 x (4 x 10-14 )2

=1.6 x 10-13 जूल

उदाहरण 24 : 250 किलो वोल्ट विभवान्तर द्वारा त्वरित एक अल्फा कण स्वर्ण नाभिक (Z = 79) की ओर चलता है। कणों की निकटतम पहुँच की दूरी ज्ञात करो।

हल : प्रश्नानुसार,

विभवान्तर V = 250 x 10 वोल्ट

a कण के लिए Z1 =  2

स्वर्ण नाभिक के लिए Z = 79

निकटतम पहुँच की दूरी s = ?

अल्फा कण की गतिज ऊर्जा = 1/2 mv2 = (Z1eV)

निकटतम पहुँच की दूरी पर अल्फा कण की स्थितिज ऊर्जा = गतिज ऊर्जा

¼ π ε0 (Ze)(Z1e) /S  = Z1ev

S = Ze /4 π ε0  =  9 x 109 x 79 x 1.6 x 10-19 /250 x 103

= 4.55 x 10-13 मीटर

उदाहरण 25: 2Mev गतिज ऊर्जा वाले अल्फा कणों की सोने के नाभिक (Z = 79) के लिए निकटतम पहुँच की दूरी 2 x 10-3 A है। सघात पैरामीटर की गणना कीजिए।

हलः- प्रश्नानुसारअल्फा कण की गतिज ऊर्जा ½  mv2o. = 2Mev

= 2 x 1.6 x 10-13 जूल

= 3.2 x 10-13 जूल

अल्फा कण के लिए q = 2e = 2 x 1.6 x 10-19

= 3.2 x 10-19 कूलॉम

निकटतम पहुँच की दूरी S = 2 x 103 A

= 2 x 10-13 मीटर

संघात पैरामीटर b =?

अलका कणों के भारी नाभिक (सोना) स प्रकीर्णन के सिद्धान्त

¼ π ε0   Zeq/S = ½ m vo2 (1 – b2/s2)

1 – b2/s2 = 1/4 π ε0   Z2e2/s 2/mv2o

= 9 x 109 x 79 x 2 x (1.6 x10-19)2 x 2 / 2 x1 0-13 x 3.2 x 10-13

= 0.57

b =S (1-0.57)

= 2x 10-13 x 0.43

= 1.3 x 10-13 मीटर

उदाहरण 26 : 50 सेमी. लम्बी डोरी के एक सिरे पर 100 ग्राम का एक पत्थर 2 चक्कर/से. की दर से चक्कर लगाता है। इसका कोणीय संवेग ज्ञात करो। यदि 25 सेकण्ड के पश्चात् पत्थर केवल 1 चक्कर/से. की दर से घूमता है तो माध्य बल-आघूर्ण की गणना करो।

हल:- प्रश्नानुसार,

R = 50 सेमी., m = 100 ग्राम, n = 2 चक्कर/से., J = ?

यदि  t = 25 से., n = 2 – 1 = 1 चक्कर/से. हो तो

= ?

कोणीय संवेग,   J = m ( r x V)

वृत्ताकार गति के लिए- J = m r2 = m r-2 2πn

= 100 x (50)2 x 2π x 2

=3.14 x 106 अर्ग-सेकण्ड

गति के तल के लम्बवत् दिशा में

माध्य बल-आघूर्ण  = dj/dt = d/dt (mr2 2πn)

= mr2 2π dn/dt

= 100 x (50)2 x 2 x 3.14 x 1/2

= 6.28 x 104 डाइन-सेमी. j की दिशा में

उदाहरण 27 : एक पुच्छल तारे (comet) की सूर्य से न्यूनतम तथा अधिकतम दूरियाँ क्रमशः 8×1010 मीटर तथा 1.6 x 1012 मीटर हैं। जब यह सूर्य के सबसे समीप होता है तो उस समय । इसका वेग 6 x 104 मी./से. होता है। जब पुच्छल तारा सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर होगा तो उसका वेग क्या होगा ? मानलो कि पुच्छल तारा दीर्घ वृत्ताकार पथ पर गति करता है।

 

हल : – प्रश्नानुसार,

rन्यूनतम = 8 x 1010 मीटर ‘

rअधिकतम = 1.6 x 1012 मीटर

vसमीप = 6 x 104 मी./से

vदूर = ?

पुच्छल तारे के लिए कोणीय संवेग के संरक्षण के नियम से__

M x v समीप rन्यूनतम = m x Vदूर xrअधिकतम

vदूर = vसमीप x  rन्यूनतम/ rअधिकतम

= 6 x 104 x 8 x 1010 /1.6 x 1012

= 3 x103 मी./से.

उदाहरण 28 : पृथ्वी के चारों ओर r त्रिज्या की कक्षा में परिक्रमण करते हुए m द्रव्यमान के उपग्रह की गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा तथा उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा को उसके कोणीय संवेग के फलन के रूप में व्यक्त कीजिए।

हलः- उपग्रह की वृत्ताकार गति को सम्भव बनाने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल गुरूत्वीय बल के द्वारा प्रदान किया जाता है। अतः यदि v उपग्रह का कक्षीय वेग हो तो

G  Mem/r2 =  mv2 /r

Mv2 = G mem/r

यदि उपग्रह का कक्षीय कोणीय संवेग Jहो तो

J = m v r

V = j/mr

अतः उपग्रह की गतिज ऊर्जा  T = 1/2 mv2 = j2/2mr2

स्थितिज ऊर्जा U = – G Mem/r

=- mv2

= – j2/mr2

अतः कुल ऊर्जा = T + U = j2/2mr2

उदाहरण 29 : एक इलेक्ट्रॉन प्रोटोन के चारों ओर 5×10-11 मीटर त्रिज्या के वृत्ताकार पथ गतिमान है। ज्ञात कीजिए

  • प्रोटोन के सापेक्ष इलेक्ट्रॉन का कक्षीय कोणीय संवेग। (ii) इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा जूल तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट में।।

हल : प्रश्नानुसार,

R = 5 x 10-11 मीटर

(i) इलेक्ट्रॉन का कक्षीय कोणीय संवेग

J = mevr

चूँकि इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथ पर गतिमान है इसलिए

अभिकेन्द्रीय बल = कूलॉम बल

mev2/r = 1/4 πε0 qpe/r2   जहाँ qp प्रोटोन का आवेश है।

me2v2r2  = 1/ 4 πε0 me qp e r

j2 = 1/ 4 πε0 me qp e r = 1/4 πε0 me e2 r

J = [9x 109 x 9.1 x 10-31 x (1.6 x 10-19) 2 x 5 x10)-11]

= 1.04 x 10-34 जूल-से.

(ii) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा

K = ½ me v2 = 1/ 4 πε0 e2/r

इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा

U = – 1/4 πε0 e2/r

अतः इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा

F = K + U = – ¼ πε0 e2/2r

= 9 x 109 x (1.6 x 10-19)2/2 x 5 x 10-11

=- 23.04 x 10-19 जूल

= – 23.04 x10-19 /1.6 x 1019 इलेक्ट्रॉन वोल्ट

= -14.4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट


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